पवन दुर्गम, बीजापुर :  बीजापुर जिले के 28 स्वीकृत और वर्तमान में संचालित 34 पोर्टाकेबिनो में अध्ययनरत 14 हज़ार बच्चों के भोजन पर संकट गहरा गया है। क्योंकी अब दुकानदारों ने अधीक्षकों को उधार में राशन देने से मना करना शुरू कर दिया है। बच्चों के लिए मिलने वाली शिष्यवृत्ति की राशि जुलाई 2024  से 18 अक्टूबर तक नहीं मिलने से अधीक्षकों को अपने स्वयं के खर्च पर भोजन व्यवस्था करवानी पड़ रही है. एक पोर्टाकेबिन में औसतन 400-500 बच्चे अध्ययनरत हैं जिन पर मासिक 6-7  लाख का खर्च आता है। बीते साढ़े तीन महीने में बीजापुर जिले के 34 पोर्टाकेबिन अधीक्षकों पर लगभग 5 करोड़ से ज़्यादा की उधारी हो गई है। यही वजह है की अब दुकानदार अधीक्षकों से कन्नी काट रहे हैं।

पोर्टाकेबिन की सांकेतिक फोटो

अधीक्षकों ने बताया की अब व्यवस्था कर पाना मुश्किल हो गया है। आख़िर दुकानदार को कब तक दिलासा देकर राशन लेते रहेंगे। दुकानदार अपनी दुखद व्यथा बताकर परेशान करने लगे हैं। दीपावली त्योहार नज़दीक आ रहा है जिस वजह से व्यापारी अब पेमेंट के लिए दबाव बनाने लगे हैं। बच्चों को भूखा रखा नहीं जा सकता और खाना खिलाने की स्तिथि अब हमारी रह नहीं गई है। सरकार को जल्द से जल्द शिष्यवृत्ति की राशि का प्रबंध करना चाहिए ताकि अधीक्षकों पर पड़ने वाला अनावश्यक बोझ न हो और पोर्टाकेबिन के सुचारू संचालन में अपनी ऊर्जा लगा सकें। 

जिला समन्वयक समग्र शिक्षा एम व्ही राव ने बताया कि शिष्यवृत्ति की राशि नहीं होने से दिक्कतें तो हैं लेकिन अधीक्षक अपने स्तर से व्यवस्था करके संचालन कर रहे हैं। हमने मांग की है राशि आते ही आबंटित की जाएगी. बता दें कि कुछ दिन पहले सैलरी की राशि शासन ने जरूर जारी की है लेकिन शिष्यवृत्ति जारी होने में देरी हो रही है। इधर चर्चायें जोरों पर है की अधिकारी के बदलने के चलते राजधानी से पैसे जारी होने में देरी तो नहीं हो रही है। वजह जो भी हो बच्चों के शिष्यवृत्ति जारी होने से अधीक्षकों को भी राहत जरूर मिलेगी।

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