गीदम 50 बिस्तर अस्पताल की लगी आग ठंडी भी नही हो पाई थी तब तक नया बखेड़ा दवाईयों को लेकर स्टाफ और मरीज के परिजनों के बीच खड़ा हो गया।
दरअसल गीदम की महिला पेसेंट रेखा गुप्ता अपने परिजनों के साथ पेट दर्द और गैस्टिक की समस्या से पीड़ित होकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँची थी। जहाँ डॉक्टर ने मरीज को परीक्षण कर दवाईयां लिख दी।
लेकिन डॉक्टर की लिखी दवाईयां अस्पताल के दवाखाने में एक भी नही थी। मेडिकल स्टोर रूम में पर्ची पर लिखी दवाईयां नही होने की वजह से मरीज के परिजनों और स्टाफ नर्स के बीच जमकर तू तू मैं मैं हो गयी।इधर खबर मिलते ही बीएमओ सूर्या गुप्ता और गीदम के कई लोग अस्पताल में जमा हो गए। परिजनों और स्टाफ नर्स की गर्मागर्म बहस को सबने शांत कराया और मरीज को अस्पताल में मौजूद दूसरी दवाईयों से इलाज किया। बीएमओ ने कहा तालमेल की वजह से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। स्टाफ को हिदायत दी गयी है भविष्य में कभी भी पेसेंटो के परिजनों से अनावश्यक न उलझे।