दन्तेवाड़ा@ दन्तेवाड़ा उपचुनाव का बिगुल चुनाव आयोग के बजाते ही राजनीतिक दलों दावेदारी की जोर आजमाइश प्रत्याशियों की दिखने लगी है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम दन्तेवाड़ा का सियासी मिज़ाज भांपने के लिए बीजापुर के विधायक विक्रम शाह मंडावी के साथ दन्तेवाड़ा के चुनावी मोर्चे में डटे हुए नजऱ आ रहे है। नकुलनार मंगल भवन में पार्टी की एक बैठक में प्रदेशाध्यक्ष मरकाम पहुँचे थे।
जहाँ कांग्रेस कार्यकर्ताओ के बीच मे टिकट के दावेदार भी नजर आये। पिछले विधानसभा चुनाव में देवती कर्मा दन्तेवाड़ा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी भीमा मंडावी से लगभग 2500 मतों से हार गयी थी। और उससे पहले झीरमघाटी हमले में महेंद्र कर्मा के शहीद होने के बाद कांग्रेस ने दंतेवाड़ा से देवती कर्मा को टिकट दी थी जिसे 2013 आम चुनाव में देवती कर्मा ने 2018 आम चुनाव जीते भाजपा प्रत्याशी भीमा मंडावी को हराकर जीत दर्ज की थी। मगर 2018 विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस की सुनामी लहर में भी दन्तेवाड़ा सीट कांग्रेस नही बचा सकी। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों के ब्लास्ट में तात्कालिक विधायक भीमा मंडावी का काफिला फंसने से विधायक सहित 5 जवानों की शहादत हो गयी।जिसकी वजह से दन्तेवाड़ा सीट पर उपचुनाव की स्थिति बन बैठी।
सोनाराम सोरी-
टिकट की दावेदारी पेश करने नकुलनार में सोनाराम सोरी भी नजर आये। बेडमा गांव में सीपीआई के पूर्व विधायक नंदाराम सोढ़ी के भाई सोनाराम है सोनाराम सोरी ने जानकारी दी कि अगर पार्टी टिकट देती है तो मैं जरूर दन्तेवाड़ा में चुनाव लड़ूंगा दन्तेवाड़ा में भारी भरकम फंड के बावजूद भी युवाओ को रोजगार नही है। कुपोषण की मार अंदुरुनी गांवो तक मौजूद है। क्षेत्र के विकास के मुद्दे लेकर चुनाव मैदान में मैं उतरूंगा। साथ मे ही पिछले चुनाव में कर्मा परिवार के हार कारण पूछने पर सोनाराम सोरी ने देवती कर्मा का कम पढ़ा लिखा होना,परिवारिक अंतर्कलह मुख्य वजह बताई। आपको यह भी जानकारी दे दे कि 1977 विधानसभा चुनाव में सीपीआई की टिकट से सोनाराम सोरी दन्तेवाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके है जिन्हें 2500 वोटों से शिकस्त मिली थी।उस वक्त महेंद्र कर्मा भी सीपीआई पार्टी से जुड़े हुए थे।
शंकर कुंजाम –
टिकट की दावेदारी में दूसरा नाम शंकर कुंजाम का भी लिया जा रहा है। शंकर कुंजाम वर्तमान में बेड़मा गांव के सरपंच हैं1980 के विधानसभा चुनाव में शंकर कुंजाम के पिता दिनेश कुंजाम दन्तेवाड़ा विधानसभा से कांग्रेस की टिकट में चुनाव लड़ चुके है जिन्हें महज 300 वोटों से उस दौर में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि शंकर कुंजाम टिकट को लेकर कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आये। मगर पार्टी आलाकमान के फैसले को ही तवज्जो देने की बात कही।
इसी तरह से और भी टिकट के दावेदारों की सुगबुगाहट कांग्रेस में है।फिर भी प्रदेशाध्यक्ष मरकाम ने कहा कि कर्मा परिवार का दावा सबसे मजबूत है। और उनकी दावेदारी पार्टी में मजबूती से पेश की है। टिकट 31 तक फाइनल हो जाएगी मंथन चल रहा है।
◆ दन्तेवाड़ा सीट पर भाजपा और कांग्रेस ही आमने सामने सीधी टक्कर में है। और भाजपा से सम्भवतः दिवगंत विधायक भीमा मंडावी की धर्मपत्नी ओजस्वी मंडावी को टिकट दे सकती है।
देखना ये होगा कि सत्ता की प्रतिष्ठा और सहानुभूति पर दन्तेवाड़ा में कौन सा फैक्टर चलेगा।

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