दंतेवाड़ा@ बाइक बिगड़ी है साहेब क्या करें रस्ते पर इसे कैसे छोड़ दें, बहुत दर्द था दिलीप की आवाज़ में क्योकि लू और गर्मी के थपेड़ों से चेहरा मुरझाया था। साथ अब भी मंजिल बहुत दूर बची है। जीवन की आस में देहाड़ी मजदूरों का ये सफर आंध्रप्रदेश के मंडापेटा से लखनऊ उत्तरप्रदेश का है। कुआकोंडा थाने के जांच बैरिकेट्स में 22 मजदूरों का दस्ता बाइको पर पहुँचा हुआ था। 8 बाइको पर सवार मजदूर घर की तरफ बढ़ने निकले थे।
हमनें मजदूरों से रास्ते के सफर की जानकारी ली तो पता चला कि सभी सीलिग़ पीयूपी लगाने का काम करते थे और कमाने खाने परदेश निकले थे। मगर कोरोना के चलते काम बंद हो गया महीनों ताकते रहे स्थिति सुधर जाये। मगर जब हालात नही सुधरे तो घर ही जाना मजदूरों ने मुनासिब समझा।
मजदूरों के दल में अधिकांश मजदूर की बाइको में 3-3 सवारियां बैठी थी। इतना ही नही 3 महिलाएं भी थी। बैग टँकी में लदा था. एक बाइक तो बिगड़ी हुई थी. जिसे रस्सी के सहारे टोचन कर 24 घण्टो से खींच रहे थे। जरा सोचिये कितनी जीवटता है श्रम के मेहनतकश कंघों में जो कोरोना काल में मीलो लंबा सफर बदइंतज़ामी के बीच भी काट दे रहा है।