सत्ताई गिद्ध

सत्ताई गिद्ध मंडरा रहे, प्रशासन के अब डेरे में।
ट्रांसफर और दबाव से छुटभैय्ये नेताओं के है प्रशासन घेरे में।
कलेक्टर से क्लस्टर तक यहाँ लगातार बदले जा रहे ।
न जाने कौन से ये विकास के दिन आ रहे ।।
अगर यही रहा हाल तो टूटा वनवास मिली सत्ता फिर तुमसे छीन जायेगी।
अबकी जो छिनी सत्ता दुबारा दशकों तक लौटकर न आयेगी।।
हाल में ही फिर जनता की बारी आयेगी।

तब तुम्हारे हाथों से सत्ता का मौका भी छीन जायेगा।।
टेंडर,बच्चो के निवाले,आफिसों में लगा रहे हो ताले।
टूटेगा भ्रम जब भड़केगी जनता सिल जायेगे सारे ताले।।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ

सुख डाली है बेटियां हर घर की समृद्धि की पहचान है बेटियां।
बाप का प्यार माँ का दुलार टूटे रोशनदान गुलदस्ता जैसी गुलजार हैं बेटियां।
कितने किरदार निभाती फिर भी नही घबराती ऐसे विश्वास की अमिट चट्टान है बेटियां।।
किसी मुकाम में अगर जरूरत पड़े तो बूढ़े माँ-बाप की रोटियां है यही बेटियां।
बेटियो को बचाओ उनके बचपन को सवारों।
उन्हें पढ़ाओ और आगे बढ़ाओ इस सृष्टि की सबसे सुंदर पहचान है बेटियां।

दोस्ती की कीमत

अनसुलझी सी हर पहेली की सहेली है दोस्ती।
भटकती डगर में डगमगाती जिंदगी को थामती है दोस्ती।।
यहाँ खून के रिश्ते नही होते पर जरूरत में हर रिश्ते को निभाती हैं दोस्ती।
जहाँ तुम थक जाओ वहाँ दोस्त को याद कर लो हर थकावट मिटाती है दोस्ती।
इस भीड़ भरे बाज़ार में मिलते तो है रोजाना हजार दोस्त।
फिर भी उन चेहरों में वो दोस्ती कहा,जो बचपन की दोस्ती साथ निभाती है।

फिर भी आप मायने समझे दोस्ती के यही सोच बनाती है दोस्ती।
उस युग मे कृष्ण ने सुदामा से जो दोस्ती निभाई थी।
तुम भी निभाना वही दोस्ती यही सच्ची श्रद्धा दोस्ती की बताती हैं जिंदगी।

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