शव को शमशान तक ले जाने लगाई जा रही शिक्षकों की ड्यूटी
न सुरक्षा बीमा, न सुरक्षा टीका कैसे हो मनोबल ऊंचा प्रोत्साहन के जगह कार्यवाही से शिक्षकों में असंतोष
दंतेवाड़ा @ छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय शर्मा जिला अध्यक्ष उदयप्रकाश शुक्ला जिला सचिव नोहर सिंह साहू, प्रमोद भदौरिया, कमल किशोर रावत ने बताया कि संगठन के द्वारा कोरोना काल मे पिछले वर्ष से ज्ञापन सौंप कर लगातार ऐसे शिक्षक जो कोरोना महामारी में अपनी सेवाएं दे रहे है जिन्हें हमेशा संक्रमण का भय बना रहता है उन सभी के लिए बीमा की मांग की जा रही है।अब तक कई जिलों में शिक्षक काल के गाल में समा गए लेकिन बीमा का कोई प्रावधान नही किया गया न ही सभी को कोरोना वरियर्स मानते हुए उम्र बंधन छोड़कर टीका लगवाने का आदेश हो सका है। ऐसे में सभी महामारी काल मे सेवा दे रहे शिक्षकों के मन मे भय बना हुवा है क्योकि वे संक्रमित हुए व उन्हें कुछ हो गया तो उनका परिवार सड़को पर आ जायेगा कोई उसके बाद पूछने वाला नही।सरकार कोरोना को रोकने सभी को घर मे रहने वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दे रही है।ऐसे में नौकरी बचाये रखने शिक्षक व अन्य कर्मचारी अपने जान को जोखिम में डालकर सेवा प्रदान कर रहे है बिंना किसी ट्रेनिंग, बिंना किसी सुरक्षा के, स्वास्थ्य विभाग राजस्व विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे है सभी शिक्षक।
ज्ञात हो कि शिक्षकों को स्कूलों में शिक्षा देने वाले अध्यापक के रूप में नियुक्त किया जाता है लेकिन वर्तमान में शिक्षक नाका ड्यूटी, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन,टीकाकरण, शव ले जाने,टीकाकरण जागरूकता, फ्रंट लाइन वर्कर्स, कवारेंटिन सेंटर में ड्यूटी, श्रमिको को लाने ले जाने वाहनों में ड्यूटी जैसे अनेक कार्यो में लगे है ऐसे में सरकार द्वारा ध्यान न दिया जाना शिक्षकों के लिए चिंता का विषय बना हुवा है जिसके चलते शिक्षक व संगठन विभिन्न माध्यमों से माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन तक अपनी बात पहुँचा रहे है इसी क्रम में शिक्षकों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लेते हुए राज्य भर में ट्विटर फेसबुक पर अभियान चलाया गया जिसमे दंतेवाड़ा जिले के सैकड़ो शिक्षकों ने अपनी मांगों को मुख्यमंत्री तक पहचाने का प्रयास किया।
संगठन के पदाधिकारी खोमेंद्र देवांगन, सुभाष कोड़ोपी, शंकर चौधरी,अमित देवनाथ,भरत कुमार दुबे,टीकमदास साहू,अजय साहू,पोरस कुमार बिंझेकर ने सरकार से उम्मदी करते हुए मांग किया कि सरकार शिक्षकों के जीवनभय को समझे शिक्षक कार्य करने के लिए तैयार है बशर्ते सरकार सुरक्षा व बीमा की व्यवस्था करे जिससे शिक्षक दोगनी ऊर्जा के साथ अपना कार्य कर सके।