पवन दुर्गम, बस्तर– रेत माफिया के इशारे पर पत्रकारों को जालसाज़ी और कूटरचना कर फँसाने के मामले में छत्तीसगढ़ के एक दरोग़ा पर भी दाग लग गया है। खाकी को दाग़दार करने वाले टीआई साहब अजय सोनकर कोंटा में पोस्टेड थे जहां से पूरी फ़साद का जन्म हुआ। दरअसल कोंटा टीआई के ख़िलाफ़ पत्रकारों के ग़ुस्से ने सरकार को मजबूर किया कि जल्द से जल्द दोषीयों पर कार्रवाई की जाये और आंध्र प्रदेश में बंद पत्रकारों को जल्द रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया जाये।
इस पूरी कूटरचना में रेत ठेकेदार, पवन माडवी, और इरशाद की भूमिका अहम है। पवन और इरशाद अभी फ़रार हैं। जिनकी खोजबीन में पुलिस जुटी है। इन दोनों पर इसके पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। तथ्यों और जानकारी के मुताबिक़ इस पूरी साज़िश के मास्टरमाइंड टीआई के साथ इनकी संलिप्तता थी जिसकी वजह से साज़िश में ये कमियाब हो सके। लेकिन कहते हैं कि अपराधी सबूत छोड़ ही जाता है इस मामले में भी तीसरी आँख CCTV ने साज़िश को नाकाम कर दिया और साज़िशकर्ता अब जेल की सलाख़ों के पीछे पहुँच गया है।
सवाल ये उठता है कि क्या गाँजा थाने से लाया गया है या माडवी और इरशाद गाँजा तस्करी के पुराने खिलाड़ी हैं जिन्होंने गाँजा टीआई साहब के लिये अरेंज किया। बहरहाल पत्रकारों की एकता और सरकार पर बने दबाव के चलते थाना प्रभारी नपे हैं।
इस पूरे प्रकरण में नेता जी को बता देना वाले पोस्ट ने मामले को और पेचीदा बना दिया है। कौंन ऐसा रसूखदार नेता है जिसके इशारे पर टीआई मामले में इतना इन्वॉल्व हुआ और पत्रकारों के ख़िलाफ़ षड्यंत्र पर उतारू हो गया। क्या सत्ताधारी दल या विपक्ष से जुड़ा कोई सुकमा ज़िले का नेता है जिसकी इलाक़े में तूती बोलती है और क्या ये वही नेता तो नहीं जिसके मातहत रेती माफिया का संचालन हो रहा था। अगर ऐसा है तो मामला आगे चलकर कमजोर न हो और पैरवी में पत्रकारों का पक्ष मज़बूती न रखा जाये इस पर पत्रकारों को भविष्य में नज़र बनाकर रखना पड़ेगा।
FIR की पूरी डेटेल्स पढ़िए.