दंतेवाड़ा@राज्य सरकार किसानों की स्थिति समृद्ध और खुशहाल करने के लिये तमाम तरह योजनाओं से किसानों को जोड़ रही है, ताकि किसानों को हर संभव मदद उनकी खेती किसानी के लिये मिल सके, पर दंतेवाड़ा जिले की तस्वीर इन सबके उलट नजर आती है, कृषि विभाग दंतेवाड़ा जिले के खेतिहर किसानों को कृषि उपकरण बाटने की बजाय गोदाम में कबाड़ की तरह फेंककर बाटना ही भूल गयी है. ऐसा आरोप हम नही लगा रहे हैं यह उस गोदाम के अंदर से निकली तस्वीरे बता रही है. पुराना कृषि कार्यालय दंतेवाड़ा जहाँ वर्षो पहले कृषि विभाग संचालित होता था. आज वह भवन खंडहर हो गया है, इस भवन के चारो तरफ दिवाले फट गई है, भवन का सज्जा जमीन तरफ गिरने को लटक गया है, इस भवन के अंदर किसानों को बाटने के लिये गैती, रापा, धान सफाई मशीन, वाटर पंप, पानी सप्लाई के कई बंडल बेतरतीब ढंग से पड़े हुये, जो अधिकारियों की लापरवाही उजागर करने के लिये काफी है।
सप्लाई-खरीदी और काम तमाम आपको बता दे कि दंतेवाड़ा जिला पूर्ण रूप से जैविक जिले का तमगा बटोरे हुये है. पर कृषि उपकरणों का इस तरह से कबाड़ और डंपिंग यार्ड में दिखना बताता है कि भ्रष्टाचार से लिप्त महकमा किसानों के नाम से लाखों के कृषि उपकरण सप्लायर से खरीदवाने में देर नही करता है, पर जब उन्ही कृषि उपकरण को दंतेवाड़ा जिले के तमाम उन जरूरमंद किसानों को देने से पहले ही उन्हें गोदाम में रखकर भूल जाता है, आपको बता दे कि दंतेवाड़ा जिले में ही नही पूरे राज्यभर में सरकार किसानों को लेकर हमेशा लाभकारी योजनाओं की घोषणा करती रही है, ताकि किसानों की स्थिति बेहतर हो सके। पर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के अंदरूनी इलाको में किसानों तक योजनाओं के पहुँचने से पहले ही गोदाम में दम तोड़ देती है। हालांकि कबाड़ की तरह पड़े कृषि उपकरणों की हमे सटीक लागत की जानकारी विभाग द्वारा नही मिल पाई पर जिस तरह हजारों उपकरण दिखाई दिये उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह उपकरण लाखो रुपये के है। जिसे किसी सरकारी योजना से जोड़कर ही खरीदा गया होगा।
सूरज पंसारी (डीडीए कृषि विभाग दंतेवाड़ा)
जो भी उपकरण किसानों के लिये आते हैं उन्हें हम जरूर बटवाते है, आप किस गोदाम की बात कर रहे हैं मैं अनभिज्ञ हूँ। मैं उसे भी दिखवा लेता हूँ। और उपकरणों को किसानों को बटवाता हूँ।