दंतेवाड़ा@ दंतेवाड़ा जिला में कुछ ग्राम पंचायतों के सरपंच आदिवासी जनप्रतिनिधियों द्वारा दंतेवाड़ा एसडीएम से 10 अप्रैल को टेकनार चौक से कलेक्ट्रेट गेट तक रैली धरना की अनुमति की सूचना का पत्र दिया गया था. पर इस पत्र गीदम और कुआकोंडा ब्लाक के जनप्रतिनिधियों के नाम से इस धरने की अनुमति मांगी गई थी. पर इस पर अनुमति पत्र पर जनप्रतिनिधियों के फर्जी हस्ताक्षर किये गये थे. ऐसा उन जनप्रतिनिधियों का कहना है जिनके नाम इस अनुमति पत्र में लिखे हुये। इस मामले के उजागर होते ही मोफलनार के सरपंच बीजूराम कश्यप , विनोद सोरी मोखपाल सरपंच,नहरूराम कवासी नागुल सरपंच, ने स्वयं एक बैठक कर कहा गया कि हमने किसी धरने प्रदर्शन की मांग नही की है, किसी ने फर्जी हस्ताक्षर कर हमारे नाम का दुरुपयोग किया है।
एसडीएम की जांच में भी फर्जी अनुमति पत्र निकला
इधर दंतेवाड़ा एसडीएम कुमार विश्वरंजन ने भी अनुमति पत्र पर नाम दर्ज सभी जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया पर सबने इसे फर्जी अनुमति पत्र बताया जिसके बाद प्रशासन ने अनुमति पत्र रद्द कर दिया।
आखिर फर्जी अनुमति पत्र क्यो दिया गया-
इस अनुमति पत्र में दर्ज जनप्रतिनिधियों में लगभग सभी जनप्रतिनिधि सत्तादल से जुड़े हुए हैं. खुलकर किसी जनप्रतिनिधि ने कुछ कहा नही लेकिन इसके पीछे गहरे षडयंत्र है, क्षेत्रीय छोटे जनप्रतिनिधियों के नाम का सहारा लगाकर प्रशासन और शासन को टारगेट कर दंतेवाड़ा जिले के राजनीति में छिपे चहरे अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाह रहे थे. पर स्वयं जनप्रतिनिधियों ने ही बैठक कर इस धरना प्रदर्शन रैली से पर्दा उठा दिया. की किस तरह फर्जी रैली और धरने की रूपरेखा खींची जा रही थी.सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि विधानसभा का चुनावी वर्ष नजदीक आ रहा है। ऐसे इस तरह के नजारे दंतेवाड़ा की राजनीति में किस तरह का रंग दिखायेंगे, यह आने वाला वक्त बतायेगा।