दंतेवाड़ा@दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ मतलब (जिला खनिज न्यास निधी) के पैसों का दंतेवाड़ा वन विभाग जंगल ट्रेल बनाने के नाम पर दुरुपयोग करता नजऱ आ रहा है। गीदम वनपरिक्षेञ के अंतर्गत यह निर्माण कार्य गीदम के हारम पंचायत में एनएच43 सड़क से लगाकर वन विभाग जंगल ट्रेल बनाने की बात कर रहा है। साथ ही इस काम के लिये विभाग 1 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च करने की रूपरेखा तैयार दंतेवाड़ा में डीएमएफ मद से पैसे खर्च करने की तैयारी में जुटा हुआ है. उक्त काम के शुरू हुये बिना ही लगभग 64 लाख रुपये 6 महीने पहले ही रायपुर के सप्लायर ठेकेदार द आर्ट फैक्ट्री को अग्रिम राशि के रूप में थमा दिया है। यही पर विभाग की भ्रष्ट नीति की कार्यकुशलता साफतौर पर देखी जा सकती है। हमारे पास इस कार्य से जुड़े जो महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। उसे पढ़कर बेहद ही चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी – सबसे बड़ी बात है कि इस कार्य मे टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़झाला कर दंतेवाड़ा वन विभाग के तात्कालिक डीएफओ और गीदम वन परिक्षेत्र के अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुँचाने की नीयत से बिना काम ही लाखो रुपये थमा दिये। बदले में ठेकेदार ने महज 8 खम्बे और एक प्लास्टिकडोम लाकर गीदम वन विभाग के एसडीओ कार्यालय में पटक दिया.सामान देखने से उन सामानों की कीमत महज 1 लाख रुपये लगती है। तो विभाग ने किस आधार पर ठेकेदार को इतनी बड़ी राशि जारी कर दी। यह बड़ा सवाल है।
महिलाओं को स्वरोजगार के नाम पर धोखा-
दरअसल वन विभाग दंतेवाड़ा द्वारा जिले की तीन ग्राम पंचायत हारम,कारली और टेकनार में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर इस काम को करवाने दावा कर रहा है। पर साफ तौर पर विभाग स्वयं को और ठेकेदार को फ़ायदा पहुँचाने तक सीमित दिख रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन ऐसे कार्यो पर क्या कार्यवाही करता है।