देश की अखण्डता और सुरक्षा के लिए अपने प्राणों को निछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने महाराष्ट्र के उमेश जाधव एक सफर पर हैं. पेशे से फर्मासिस्ट 39 वर्षीय उमेश गोपीनाथ जाधव बिल्कुल जुदा तरीके से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं. शहीदोंं के घरों से मिटटी इकटठा कर वे कश्मीर में भारत का मानचित्र तैयार करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होनें शहीदों के घर से मिटटी इकटठा करने का फैसला किया है. अब तक 64 हजार किमी का सफर के साथ करीब 12 से ज्यादा राज्यों का भ्रमण कर शहीदों के घर से मिटटी जमा की है.
उमेश गोपीनाथ का सड़क पर निकलने का अंदाज भी इतना अनोखा है कि जो कोई उन्हें देखता है, वहीं ठहर जाता है. गुरूवार शाम को भी कुछ ऐसा ही नजारा जिले में देखने को मिला जब उमेश गोपीनाथ का काफिला गुजरा. कार के सामने तिरंगा और पिछे शहीदों के घर से जमा की गई मिटटी से भरी ट्रॉली साथ चल रही है. अपनी गाड़ी में सैनिकों और युद्ध-क्षेत्र से जुड़े अलग-अलग सामान को शहीदों के सम्मान में लगाया है. आर्मी की वर्दी में उमेश अकेले ही इस सफर को पूरा कर रहे हैं. उमेश गोपीनाथ जाधव ने बताया कि इस सफर का दूसरा अहम उद्देश्य राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर सैनिकों की अमूल्य शहादत का मोल समझाने के साथ ही लोगों तक देशभक्ति का जज्बा भी जगाना है. इसके साथ ही उमेश ने लोगों से कोरोना वायरस से बचने के लिए घरों में रहने की अपील भी की है
बेंगलूरू से शुरू किया मिशन
शहीदों को सम्मान दिलाने के मिशन पर निकले उमेश गत वर्ष नौ अप्रैल 2019 को सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर बेंगलुरु से रवाना हुए थे. इस मिशन का समापन गुजरात के रण आफ कच्छ में करना था लेकिन कोरोन के चलते मिशन प्लान में तब्दीली की गई है. उन्होने बताया कि नये प्लान के अनुसार उनका मिशन 15 अगस्त को लाल किला पर खत्म होगा.
कोरोना ने रोका, बस्तर के शहीदों से पूरा होगा सफर
उमेश ने बताया कि सुरक्षागत कारणों और वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्होनें इस सफर को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया है. सुकमा में शहीदों के घर वे नहीं जहा सके, जिसका उन्हें मलाल है. माहौल सामान्य होने के बाद वे दुबारा यात्रा को शुरू करेंगें. बस्तर के शहीदों के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगें और उस मिटटी से ही उनका लक्ष्य पूरा होगा. शहीदों को याद करते हुए उन्होनेे कहा कि जवानों की शहादत से ही बस्तर का विकास हो रहा है. आज जिस सड़क पर सफर किया है उसे जवानों ने अपनी खूंन से सींचा है.
मिटटी इकटठा करने के पीछे की कहानी
उनकी इस यात्रा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. उपेश गोपीनाथ ने बताया कि घर लौटने के दौरान जयपुर एयरपोर्ट पर उनकी नजर टीवी स्क्रीन पर पड़ी. पुलवामा हमले की न्यूज लगातार चल रही थी. आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गये थे. इस घटना ने उन्हें अंदर से विचलित कर दिया. उन्होंने फैसला किया कि शहीदों को श्रद्धांजलि देने परिजनों से मुलाकात कर अंतिम संस्कार की मिटटी जमा किया जाये।