दंतेवाड़ा क्षेत्र के गीदम गांव के जे. आर. पैलेस में जोधपुर,(राजस्थान) से पधारे गुरुवर श्री राजाराम जी महाराज के शिष्य भागवत मर्मज्ञ संत कृपाराम जी के मुखारविंद से चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन में कृपाराम महाराज ने वर्णन किया की श्रीमद् भागवत कथा किसी जाति-धर्म आदि के लिए नही यह तो मानवमात्र के लिए है इस कथा को जो व्यक्ति जीवन में उतरेगा उसका जीवन जो इतने सालों से अस्त व्यस्त था वो जीवन आज से सुव्यवस्थित हो जायेगा |
महाराज श्री ने आज की कथा में भागवत कथा के प्रथम अध्याय का आरंभ किया | भागवत के रचयता श्री वेदव्यास जी ने सत्य की वंदना की क्यों की सत्य के बिना कुछ नही है, सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता | व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलना चाहिए | प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पहले के जमाने के प्रेम और आज के जमाने के में बहुत अन्तर आ गया, जिस पति पत्नी के रिश्ते में कभी लड़ाई झगड़ा नहीं होता था पवित्र रिश्ता कहलाता था उसमे भी आज प्रेम कम हो गया,लड़ाई झगड़े होते रहते है |
भगवान के चौबीस अवतारो का वर्णन करते हुए रामावतार व कृष्णावतार के बारे में जानकारी प्रदान की ।
महाराज जी ने बताया कि
व्यक्ति चिंता में अपना जीवन बर्बाद कर देता है चिंता नहीं प्रभु का चिंतन करें, चिता व्यक्ति को एक बार जलाती है लेकिन चिंता हर रोज जलाती है चिता मरे हुए व्यक्ति को जलाती है लेकिन चिंता जिंदा व्यक्ति को पल-पल जलाती है संत श्री ने बताया कि 50 साल के बाद भगवान के भजन में लग जाना चाहिए अक्सर लोग बूडापे में दुनिया के काम-काज में ज्यादा फस जाते हैं लेकिन दुनिया के काम-काज से मन को हटा कर भगवान के भजन में लग जाना चाहिए पूरी उम्र पैसे लेते के पीछे भागते रहते हैं महंगी महंगी चीजों के पीछे भागते रहते हैं परंतु यह नहीं पता कि जिस परमात्मा ने इतना अमूल्य शरीर दिया है जिसका कोई मोल नहीं उस परमात्मा को भूलकर मोह माया में मन लगाकर परमात्मा को भूल गए हैं इसलिए जीवन के अंतिम पड़ाव में भगवान के भजन में मन को लगा देना चाहिए | आज की कथा में परीक्षित श्राप की कथा का विस्तार से वर्णन किया | कथा का लाइव प्रसारण कृपाराम जी लाइव यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है ।