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जन आंदोलन का रूप ले रहा मनरेगाकर्मियों का हडताल,छत्तीसगढ़ के 16 साल के इतिहास में पहली बार शून्य मजदूर
मनरेगाकर्मियों के हड़ताल को मिल रहा ग्रामीणों का समर्थन
नियमिकरण के लिए निकले दांडी यात्रियों का गॉव- गॉव , नगर-नगर स्वागत
दंतेवाड़ा@ 18 अप्रैल 2022 का दिन छत्तीसगढ़ मनरेगा के इतिहास में एक भी मजदूर को काम नहीं दे पाने के नाम पे दर्ज हो गया है। विगत 16 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि कार्य दिवस में मजदूरों की संख्या शून्य है। निश्चित रूप से यह मनरेगाकर्मियों के हड़ताल को ग्रामीणों,सामाजिक संगठनों, पंचायत प्रतिनिधियों, कर्मचारी संगठनों का लगातार मिल रहे समर्थन का ही नतीजा है।
ज्ञात हो कि 4 अप्रैल से राज्य भर में मनरेगाकर्मी अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल में है। जिसके चलते कार्यालयीन कार्य प्रभावित हो रहे है। वहीं दूसरी ओर मनरेगाकर्मियों का हड़ताल अब धीरे धीरे और भी प्रभावी होते हुए जन आंदोलन का रूप लेती जा रही है।
ऐसा हम इसलिए कह रहे है चूंकि दंतेवाड़ा से पैदल चल कर रायपुर के लिए निकले दांडी यात्रियों का रास्ते मे पड़ने वाले गाँव-गाँव नगर-नगर गाजे बाजे और फटाके फोड़कर फूलों की वर्षा करते हुए स्वागत किया गया जा रहा है। अपनी मांगों के लेकर 40 डिग्री के तापमान पर चल रहे इन कर्मचारियों के लिए ग्रामीण और आम जनमानस में मन में सहानुभूति पैदा हो रही है, और वो इनके समर्थन में आते जा रहे है, वही दूसरे संभागों में भी लगातार जल सत्याग्रह , हस्ताक्षर अभियान, के अलावा सोसल मीडिया में लगातार ये कर्मचारी आम जनता तक अपनी मांगों को समझा पाने व समर्थन प्राप्त करने में सफल हो रहे है।
प्रदेश सचिव संघ और तमाम राजनीतिक दलों ने इनकी मांगों का खुला समर्थन किया है ।
ऑनलाइन रिपोर्ट को गौर करे तो छत्तीसगढ़ राज्यभर में विगत वित्तीय वर्षो में इस सीजन में प्रति दिवस लगभग 15 लाख से ऊपर मजदूर मनरेगा अंतर्गत कार्य करते है। किन्तु 18 अप्रैल को छत्तीसगढ़ राज्य के किसी भी जिले में एक भी मनरेगा के मजदूर कार्यरत नही है।