इस तरह पहुँचती एम्बुलेंस देखिये।
दन्तेवाड़ा-नक्सलियो के कब्जे का इलाका जहाँ सड़क,पानी,हवा सब नक्सलियो के मन के मुताबिक बहती हो। जिन इलाकों में सरकारें साल दर साल विकास को घटते क्रम में दिखाती हो ऐसे इलाके आज भी दन्तेवाड़ा में मौजूद है। जहाँ 1 जिंदगी को बचाना किसी चिनौति से कम नही।
मोखपाल-कटेकल्याण मार्ग पर नक्सलियो ने सड़क को कई हिस्सों में काट रखा है। जहाँ गाड़ियो की वर्षो से आवाजाही बन्द है।ऐसे में जब कोई ग्रामीण इन इलाकों में बसे गांव में बीमार होता है। तो उस स्वास्थ्य सुविधा पहुँचना किसी बड़ी चिनौति से कम नही होता।
इस सड़क पर आदिवासी ग्राम एटेपाल है। जहाँ तुलेबाई २७वर्षीय महिला पेड़ से गिर गयी और घायल हो गयी। परिजनों ने 108 एम्बुलेंस में कॉल कर मदद भी कुआकोंडा सीएससी से मांग ली।
संजीवनी एक्सप्रेस गुडरा को जैसे ही पार की सड़क पर नक्सलियो के काटी सड़क मिल गयी। जिसको पार करना बेहद ही मुश्किल था। जैसे तैसे पायलट संदीप सविता और ईएमटी मैथ्यू कुमार सड़क किनारे खेत खिलहान से 2 किलोमीटर दूरी तय कर गए। लेकिन मरीज के घरतक फिर भी नही पहुँच पाये।
घायलावस्था में महिला को महिला के पति मंगूराम और संजीवनी के स्टाफ ने खाट पर कावड़ बनाकर ग्रामीणों की मदद से संजीवनी एक्सप्रेस तक पहुँचाया, पेड़ से गिरने की वजह से महिला का दाहिना पैर टूट गया साथ ही पेट मे सूजन आ गयी थी। सकुशल एम्बुलेंस कर्मियों की कोशिश से महिला को कुआकोंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए लाया गया। जहाँ महिला का इलाज चल रहा है।
नक्सलियो की काटी सड़को में अक्सर ग्रामीणों को ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। और सरकारें तख्तों ताज में बदल बदलकर बैठती रहती है। फिर नक्सलग्रस्त अंदुरुनी ग्रामीण गांवों तक विकास की सड़क नक्सल रोड़े के चलते नही पहुँचा पाती।