दन्तेवाड़ा@पेड़ो की अवैध कटाई पर दन्तेवाड़ा वन विभाग शून्य ही नही निष्क्रिय भी है। उसे कोई फर्क नही पड़ता चाहे उनके दफ़्तर के सामने आरा चलाकर पेड़ उखाड़ो या जेसीबी से गिरा दो,
पूरा मामला गीदम के फारेस्ट नाके के सामने का है। जहाँ बुधवार शाम 7 बजे के आसपास जेसीबी मशीन से महुआ पेड़ चोरी से गिराया जा रहा था। जिसकी शिकायत रेंजर से लेकर डीएफओ तक कि गयी। मगर जहाँ रेंजर इसे ईमारती लकड़ी की कटाई तो नही हो रही हैं ऐसा बताते हुए कार्यवाही नही करने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं।
सवाल यह भी उठता है कि अगर वन विभाग पेड़ की कटाई में अंकुश नही लगा सकता तो कौन लगायेगा?
जिस वक्त पेड़ गिराया जा रहा था मीडिया रिपोटर ने डीएफओ रमेश जांगड़े से भी चर्चा की और पूरे मामले को बताया पर उनका जबाब भी गीदम नाके के सामने की जगह राजस्व भूमि में है तो हम लोग कुछ कार्यवाही नही कर सकते।उस पर राजस्व विभाग ही कार्यवाही कर सकता है।
जानकारी के लिए आपको यह भी बता दे कि दन्तेवाड़ा वन विभाग जब निर्माणाधीन सड़को में पेड़ो की कटाई रुकाकर महीनों हादसों को जन्म देता रहता है। तो शहर के बीच मे पेड़ की कटाई क्यो नही रोक सकता? या फिर जब उसे समय से पेड़ कटाई की जानकारी दी गयी तो उन अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी नही बनती क्या कि मामले की पड़ताल कर उसपर सही कार्यवाही की जाए।
गौरतलब यह भी है कि राजस्व विभाग हो या वन विभाग दोनों विभागों के पास पर्याप्त संसाधन और कर्मचारी है। इसके बावजूद भी सुस्त कार्यप्रणाली के चलते पेड़ गीदम में वन नाके के सामने पेड़ कटता रहा और अधिकारी राजस्व और वन विभाग का पहाड़ा पढ़ते रहे। या आप ये समझ लीजिए कि राजस्व विभाग की जमीन पर कटाई बताकर वन विभाग कार्यवाही से पल्ला झाड़ रहा है।