दन्तेवाड़ा@ दन्तेवाड़ा में आदिवासीयो के जेल बंदी रिहाई के मुद्दे पर चल रहे आंदोलन में श्रेय की होड़ भरी राजनीति के आरोप प्रत्यारोप के साथ खंडन भी दिखाई दे गया। जिसके चलते आंदोलन की फ्रंट लीडरशिप पर अखबार से लेकर शोसल मीडिया में तकरार नजऱ आई।
दरअसल ५ अक्टूबर को सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी प्रशासन से सुकमा बीजापुर दन्तेवाड़ा जिलों के ग्रामीणों के साथ अनिश्चित कालीन आंदोलन की अनुमति मांगी थी। पर त्रुटिपूर्ण लेटर व समय संख्या,स्थान नही होने की वजह से अनुमति खारिज कर दी गयी थी। इसी आंदोलन में शांति भंग के आरोप में सोनी सोरी धारा १५१ के तहत अरेस्ट हो गयी थी। आदिवासी समाज के लीडर मनीष कुंजाम भी आंदोलन के समर्थन में पहुँचे थे। पर मीडिया में विरोधाभाषी खबरों से बवाल मच गया। छग के प्रादेशिक एक दैनिक समाचार पत्र में आंदोलन को श्रेय लेने की होड़, पश्चिमी ताकतों के ईशारे पर आंदोलन चलाने जैसी बातें उजागर हुई थी।
जिस रिपोर्ट पर लिंग्गा कोड़ोपी ने जमकर फेसबुक एकाउंट पर सीपीआई लीडर मनीष कुंजाम के इस बयान की कड़ी आलोचना करते हुऐ कहा कि श्रेय लेने की होड़ वाली प्रवत्ति मनीष कुंजाम में है। उन्हें स्वयं के श्रेय की चिंता है। इस तरह से एक पोस्ट अपने एकाउंट से चला दिया।
इधर मनीष कुंजाम ने सिरे से इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि मैने इस तरह का कोई स्टेटमेंट मीडिया पर नही दिया। मुझे ताज्जुब है इस रिपोर्ट पर मैं संपादक से चर्चा कर रिपोर्ट की शिकायत करूँगा। साथ ही यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लिखने से पहले सोनी सोरी व लिंग्गा कोड़ोपी को मुझसे एक बार संपर्क कर लेना चाहिए था। मेरे सोनी सोरी से संबंध कभी खराब नही थे। किसी भी मीडिया में ऐसी कोई रिपोर्ट छपी नही है।