गीदम नगर की बैंक में इन दिनों कामकाज को लेकर लोगो मे जमकर नाराजगी ग्राहकों से लेकर आम लोगो पर उमड़ रहा है। अब लोग गुस्सा शोसल मीडिया की साइडों पर बैंक के खिलाफ उतार रहे है। ग्राहकों का कहना है इस बैंक में राशि निकासी,जमा करने और छोटे छोटे कामो के लिए घण्टो लग जाते है। इतना ही नही आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अगल जमा पर्ची या निकासी पर्ची पर जरा सी भी गलती हो गयी तो बैंककर्मी जल्लाद की तरह ग्राहकों पर टूट पड़ते है। इन्ही अव्यवस्थाओं के बीच इन दिनों तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय सरकार चेक से खातों में जमा कर रही है। इन्ही पैसों को निकालने आदिवासी खाताधारक दूर-दराज से बड़ी संख्या में पहुँच रहे है। एक सुस्त कैशियर के भरोसे 50%ग्रामीणों को बैरंग बिना भुगतान के वापस लौटना पड़ रहा है।
ग्राहक हमेशा ही गीदम स्टेट बैंक के कामकाज से असंतुष्ट रहे है। लेकिन उनके पास विकल्प सीमित होने के कारण अपने बात बड़े स्तर तक नही पहुचा पाते हैं। इस बार नगर के लोगो ने सोशल मीडिया के जरिये भी बैंक की अव्यवस्थाओ को दूर करने के लिये जमकर कमेंट्स कर सवाल उठा रहे है अब देखना है कि लोगो की बातों का कितना असर बैंक प्रशासन पर पड़ता हैं।
अभिलेख राठौर बैंक मैनेजर गीदम
तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये सप्ताह में दो दिन बुधवार व गुरुवार रखे गये है प्रत्येक दिन 300 से 400 लोगो को भुगतना किया जा रहा है। हमारी हर संभव कोशिश रहती है कि लोगो के भुगतान का शीघ्र निराकरण किया जाये। और नगर के लोगों द्वारा लगाये जा रहे आरोप गलत है काउंटर नंबर दो में कोई भी व्यक्ति आसानी से अपना कार्य करवा सकता है।
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कोई अधिकारियों को एसी रूम में सोता अफसर बता रहा तो कोई घमंडी अफ़सर बता रहा, तो कोई बैंक बड़ी होने की सलाह बता रहा। पढ़िये गीदम बैंक के लिए लोग क्या क्या कह रहे ।