पवन दुर्गम, बीजापुर- बीजापुर स्थित बांस डिपो को एशिया के सबसे बड़े बड़ा बांस डिपो का तमगा हासिल था। दुनियाभर में बीजापुर के बांस डिपो की चर्चा हुआ करती थी। विडंबना ये है कि आज बीजापुर बांस डिपो में जलाऊ लकड़ी नहीं है। बीते तीन महीनों से समाज और मृतकों के परिजन शव दाह के लिए जंगल की लकड़ी पर आश्रित हैं। बीजापुर में एक ऐसा मामले आज निकलकर आया है।मृतकों के परिजनों ने शव जलाने बांस डिपो में जलाऊ लकड़ी के लिए संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि तीन महीने से डिपो में जलाऊ लकड़ी नहीं है। मजबूरन परिजन और समाज के लोगों को जंगल से लकड़ी लाकर शव दाह करना पड रहा है।
वन विभाग साल में करोड़ों की आया बीजापुर के जंगलों से अर्जित करता है। करोड़ों का वनोपज और तेंदूपत्ता मुख्य आय का स्रोत है। बीजापुर का जंगल एक ओर जहाँ सरकार को बड़ा राजस्व देता है लेकिन बीजापुर के बाशिंदों को मुर्दा जलाने के लिए कुछ क्विंटल लकड़ी उपलब्ध कराने में वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है।
बीजापुर वनमंडलाधिकारी सन्मैया कृष्णम ने बताया कि बारिश की वजह से 2-3 महीनों से बीजापुर डिपो में लकड़ी नहीं आ पाया है। अक्टूबर से हमारा सेलिंग शुरू होता है। यही वजह है कि पूरे बस्तर में अभी कहीं भी सेलिंग नहीं हो पा रहा है। अगले कुछ दिनों में लकड़ी उपलब्ध हो जाएगा।